Rewind - June 2023

It has been close to 2 years now that I am not writing consistently. I miss writing. It brings me unparalleled joy. I hope things will change for the better and I can spend more time writing.

Date

Published

06/02/2023

महबूब पास से गुज़रे और साँसे ऊपर-नीचे ना हो 

वो साला इश्क़  हराम है

06/03/2023

करवटें लेते रहे रात भर 

कि वो सुबह मैसेज भेजें तो अंगड़ाई टूटे


मेरे ख्वाब नहीं है बहुत ज़्यादा

बस तुम एक कप चाय पे मिल लो उतना काफी है


वो बंदूक़ ताने खड़े थे कहीं कोई ज़लील न कर दे 

और मैंने हल्की सी मुस्कान से धमाका कर दिया


वो मुझे भूल सकता है मिटा नहीं 

मैं उसकी इक-इक आदत में बसती हूँ 


मजबूरी में इंसान बहुत गुनाह करता हैं

पर उसने मज़े-मज़े में मेरा दिल तोड़ दिया


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