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शहर में एक अफवाह सी है, कि आज भी तुझे मेरी परवाह सी है!

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शहर में एक अफवाह सी है  कि आज भी तुझे मेरी परवाह सी है वो घर जहाँ घंटों बिताए थे साथ हमने उसे छोड़ने की मेरे पास अब लाखों वजह सी हैं कि आज भी तुझे मेरी परवाह सी है खाली सी साँझों में देखते है लौटते हुए परिंदों को पर इस भरी दुनिया में क्या मेरे लिए कोई जगह भी है क्यों आज भी  तुझे मेरी परवाह सी है क्यों नहीं रह सके  साथ हम उम्र भर  यही सोच सोच ज़िन्दगी  तबाह सी है  फिर क्यों तुझे मेरी परवाह सी है शहर में एक अफवाह सी है  कि आज भी तुझे मेरी परवाह सी है

ख़ूबसूरत हो, ख़ूबसूरत सा दगा देते हो...

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I have written a few #songs. Thought of sharing songs that are rejected by #musicians on social media and blog. If anyone wants to compose it, please reach out at contact@sarusinghal.com. Here it goes... मीठे लगते हो पर हो तुम ज़हर ठहरी में साहिल सी   तुम तेज़ कोई लहर मेरे अंदर की आग को कुछ ऐसे हवा देते हो   ख़ूबसूरत हो ख़ूबसूरत सा दगा देते हो   ख़बर फैलें मोहल्ले में   बदनाम हो हम भी   बीते शामें साथ   आधी रात वापिस आऊँ मैं कभी बिस्तर पे सिलवटें हो   उन सिलवटों पे ये कहते हो   ख़ूबसूरत हो ख़ूबसूरत सा दगा देते हो   बेनाम हो रिश्ता हमारा तबाही को क्यूँ नाम दे अधूरे लाखों है यहाँ एक - दूसरे को क्यूँ इलज़ाम दे बनूँ मैं घाट सी तुम नदी सा मुझमें बहते हो   ख़ूबसूरत हो ख़ूबसूरत सा दगा देते हो #baawri_basanti #writer #hindi 

Rewind - September 2021

September was kind to me. I wrote these couplets and did a lot of work on myself... Date Published 09/01/2021 बस इतनी सी तमन्ना है  जितना मैंने तुम्हें प्यार किया उतना कोई मुझे भी प्यार करें 09/05/2021 सुनिए, सरेआम इश्क़ नहीं, तमाशे होते है! 09/07/2021 सफ़ेद कुर्ते पजामे में धीमे-धीमे मुस्कुराना ज़ालिम ख़ूबसूरती की भी एक हद होती है 09/07/2021 तुम मिलने का इरादा तो रखो मैं वक़्त से कहूँगी की वो रुक जाए 09/13/2021 जब मिलता है धोखा दोस्त से तब यक़ीन उससे नहीं खुद से उठ जाता है 09/13/2017 तुम बोलो तो रफू करवा लाती हूँ  तुम्हारे जाने के बाद उम्मीद तार-तार हो गयी है 09/15/2021 तुम आसमाँ की तरह विशाल थे मैं समन्दर की तरह गहरी बस इस ऊँच-नीच के चक्कर में प्यार कही खो गया 09/17/2021  मैंने किया था मशहूर तुझे वरना मेरे इश्क़ से पहले तेरी औक़ात क्या थी 09/26/2021 दूसरों से लड़ना क्या बड़ी बात हैं ये जो खुद से रात-दिन का संघर्ष है ना बस ये इंसान को खोखला कर देता है 09/27/2021 आज शाम घर लौटते हुए परिंदो से जलन हुई वो झुंड में थे और मैं अकेली