Rewind - September 2021

September was kind to me. I wrote these couplets and did a lot of work on myself...

Date

Published

09/01/2021

बस इतनी सी तमन्ना है 

जितना मैंने तुम्हें प्यार किया उतना कोई मुझे भी प्यार करें

09/05/2021

सुनिए, सरेआम इश्क़ नहीं,

तमाशे होते है!

09/07/2021

सफ़ेद कुर्ते पजामे में धीमे-धीमे मुस्कुराना

ज़ालिम ख़ूबसूरती की भी एक हद होती है

09/07/2021

तुम मिलने का इरादा तो रखो

मैं वक़्त से कहूँगी की वो रुक जाए

09/13/2021

जब मिलता है धोखा दोस्त से

तब यक़ीन उससे नहीं खुद से उठ जाता है

09/13/2017

तुम बोलो तो रफू करवा लाती हूँ 

तुम्हारे जाने के बाद उम्मीद तार-तार हो गयी है

09/15/2021

तुम आसमाँ की तरह विशाल थे

मैं समन्दर की तरह गहरी

बस इस ऊँच-नीच के चक्कर में

प्यार कही खो गया

09/17/2021 

मैंने किया था मशहूर तुझे

वरना मेरे इश्क़ से पहले तेरी औक़ात क्या थी

09/26/2021

दूसरों से लड़ना क्या बड़ी बात हैं

ये जो खुद से रात-दिन का संघर्ष है ना

बस ये इंसान को

खोखला कर देता है

09/27/2021

आज शाम घर लौटते हुए परिंदो से जलन हुई

वो झुंड में थे और मैं अकेली

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