Rewind - July 2021

 I think this is the only time in the last 10 years that I’m barely writing. Hopefully, my schedule and habits change in near future. I wrote the following in July.

Date

Published

07/03/2021

आज आपने 4 आँसूं क्या बहाए

सतलुज सा उफान मेरे दिल में भी उठा

07/05/2021

सीने में दर्द आँखों में नमी

इस भीड़ सी दुनिया में सिर्फ़ तेरी कमी

07/07/2021

मीलों का सफ़र

और लाखों उतार-चढ़ाव

विशाल समन्दर हैरान हैं

कि फिर भी नदी इतना इतराती क्यूँ है 

07/12/2021

हार जाते तुम से लाखों बार

मुझसे एक बार हक़ जता के लड़ते तो सही

07/15/2021

Have the courage to look in the eye of the storm and say, ‘I’m the fucking hurricane.’

07/15/2021

किस बात पे इतना इतराते हो तुम

चोट खुद देते हो और फिर गले लगाते हो तुम

07/20/2021

Summer is a season of love. If you will, fall in love with yourself.

07/20/2021

ज़िन्दगी रोडवेज की बस है 

सवारी अपनी भावनाओं की खुद जिम्मेदार है



Comments

  1. आदर्णीय महोदया, इतने नाज़ुक ख्यालात, अहसासात व जज़्बात कहाँ से लाती है आपकी आत्मा ... गहरे अर्थ वशीभूत कर देते हैं ... यह सच है तारीफ़ नहीं ... बस एक ही प्रार्थना है दिव्य शक्ती से ... शब्दों और अर्थों की यह तीब्रता कम ना हो ... प्रणाम है मेरा आपको ....

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