तुम ठहराव हो...


कस्तूरी सी सुबह 
सतरंगी सी शाम 
दिल की तंग गलियों में 
लिखा तेरा नाम 

कोई भी सीढ़ी हो
तुम उसके पहले पड़ाव हो 
ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव में 
तुम ठहराव हो 

रहूँ साथ तेरे उम्र भर 
ऐसी खवाहिश नहीं मेरी
जेहन में रखना
कुछ ऐसी तलब है तेरी 

नशा उतरे न कभी 
वैसी उम्दा शराब हो 
ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव में 
तुम ठहराव हो 

लगे मीठी फरवरी में 
वो सौंधी-सौंधी धुप तुम 
श्रृंगार करूँ लाखों के 
पर मेरा रूप तुम 

गुनगुनाओ जिसे दिन-रात 
तुम वो अलाप हो 
ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव में 
तुम ठहराव हो 

Comments

  1. I wanna Create a Fanpage for You Can I.....????

    ReplyDelete
  2. Speed of light jaisee zindgi ki raftaar mein thehraav ka zikr bohot rare par umda hai. Shukriya tehraav ki ore modne ko! 😊

    ReplyDelete

Post a Comment

Bricks, brickbats, applause - say it in comments!

Popular posts from this blog

यूँ दो चार घंटे के लिए नहीं

Rewind - September 2023

Death of a Nation