चिराग लेके मैंने ढूँढा , चौखट चौबारा! निगोड़ी रात में फिर अपने हाथ पे लिखा नाम तुम्हारा!! जब तुम जाते हो , कुछ रोज के लिए बाहर , तुम्हारे पीछे पीछे ये मन भी हो जाता है बंजारा! अकेली रातो में फिर, अपने हाथ पे नाम लिखती हूँ तुम्हारा!! सुध बुध खो कर, बैठती हूँ उस कोने में, चाय की प्याली के संग, तुम्हारी यादें बनती है मेरा सहारा! तनहा रातो में फिर, अपने हाथ पे नाम लिखती हूँ तुम्हारा!! चिराग लेके ढूँढती हूँ, चौखट चौबारा! निगोड़ी रात में फिर, अपने हाथ पे नाम लिखती हूँ तुम्हारा!! ~सरू सिंघल~
It’s all about creating magic in words!